22 अभक्ष्य पदार्थ – पार्ट 17 Recipe by Jain Rasoi 333 days ago

22 अभक्ष्य पदार्थ - पार्ट 17
    F] चार तुच्छ चीजे

    22) विष का त्याग

    जगत की सभी चीजें मानव जीने के लिए खाता है । 'विष' जीवन देनेवाला नही मारनेवाला है । आजकल करवट बदली है । लोगों की इच्छायें आकांक्षायें और अपेक्षाओं ने मर्यादा का उल्लंघन कर दिया है । छोटी-छोटी बातों में व्यक्तियों को गुस्सा आने लगा है । किसी को भी सहन करना नहीं है । थोड़ा झगड़ा हुआ की व्यक्ति तुरन्त अपघात का विचार करता है । आज मरने के लिये बाजार में जहर खोजने जाना नही पड़ता । अच्छे-अच्छे घरों में जीवों को मारनेवाली दवाईयों उपलब्ध है । ट्‌वीक ट्‌वेन्टी, बेगोन स्प्रे, फीनीट, हीट आदि अनेक जहर घर में मौजुद होते हैं । जहर पीने के जिये बाहर जाने की जरूरत नहीं । बाथरूम में जाकर बोतल गटागट पीने की सौहलियत आज हर एक घर में है । इस तरह मरने से कोई प्रोब्लेम सोल्व नही होती । मरने के बाद और बड़े प्रोब्लेम क्रीएट होते है । इस बात का ख्याल जहर पीनेवालों को नहीं आता ।
    जिनेश्वर देव ने पर हत्या को पाप कहा है, तो स्वहत्या को भी पाप कहा है । जगत के कोई भी जीव की हत्या नही की जाती तो फिर स्वयं के आत्मा की भी हत्या नहीं की जाती । अब तो भारतीय उच्च न्यायालय ने भी अपघात आत्महत्या के प्रयत्न को गुनाह कहा है । दुःखो को सहन करने की ताकत हर एक आत्मा में होती है । मर जाने की कोई जरुरत नहीं । सहनशक्ति से ज्यादा कभी भी दुःख नहीं आता । सहनशीलता बढ़ाकर मानव को दु खों को पचाना सीखना चाहिये । जिंदगी को समय से पहले खत्म करने का विचार कभी नहीं करना ।

    जहर के प्रकार

    i) रासायनिक : पोटेशियम साइनाइट, बाबिंदुरेट, आर्सेनिक, सोमल, हडताल, बेगॉन, डी.डी.टी, फिनीट, टीक ट्‌वेन्टी, धनुर्वा वगैरह ।

    ii) प्राणीज : सर्प का जहर, बिच्छू का जहर, पागल कुत्ते का जहर, चिपकली का जहर

    iii) वनस्पती : वच्छनाग, अफीण, जहर कचोला, धतुरा, आक, खोराकी जहर
Source : Research of Dining Table by Acharya Hemratna Suriji

 

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